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Latest Hindi Film The Nature | New HD Hindi Movie Created in haryana 2016

Latest Hindi Film The Nature | New HD Hindi Movie Created in haryana 2016
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द नेचर - ए स्पीचलेस रिएक्शन हिंदी फिल्म । हिंदी फिल्म क्रिएटेड इन हरियाणा


The Nature - A Speechless reaction Is a great and new Hindi movie which is created by few cool friends on their self work and production work. The Nature is a film which is scary horror movie along with that it is very different form other movies because this is mostly based on Nature.
This movie is created by a 25 Years old Boy Gourav Gir who loves to create new stuff for public and convey their message to people. In this Hindi film he messages to people that if you destroy nature then don't forget that one day nature will destroy you and you will be no longer after that.
After this movie Mr. Gogi who is Gourav Gir who whished that people may change their thinking and stop destroying our Oxygen creator. (The Nature)

Below is a embedded Full movie The nature you may enjoy it live or download from your desired directors





This message is little bit scary so don't forget to watch with anyone don't watch alone...
hahhahah
In this great film most supportive role and cast are like that

Mr.Gourav Gir
Mr.Mukesh Sharma
Mr. Amit Soni
Mr.Sourabh Gir
Mr. Sunil Kumar (Makhosyorani)
Mr.Budh Ram Bharat
Mr.Rahul Sethi
Mr.Sewa Ram
( Family and Friends )



The Nature (Story)

Script
The Nature 
- A speechless reaction
A story of Nature about what should we do and how we should care of this.

Scene 1st 
FADE IN :
EXT.HOUSE OF SORYA – VERY EAVENING
A prety room with light sun light and diy light.
DISOLVE TO:
INT.ROOM WITH UV LIGHT : EVENING TIME
(Sory Reading a true story book leying on his bed )
सोर्य अपने बेड पे सोया हुआ जे एच जे नमक पुस्तक पढ़ रहा है और जैसे ही वो अपनी कहानी पूरी करता है और वो पास रखे पानी के गिलास से पानी पिने लगता है तभी उसका फ़ोन कम्पन करने लगता है वो पानी के गिलास को होठों तक जाते जाते रोकता है और फ़ोन को उठता है |
(फ़ोन पर उसके बचपन का दोस्त है )
गोगी : हे सोर्य , हाउ अरे यू ?
सोर्य : फाइन बरो , अपनी सुना क्या हाल है और इतने दिनों बाद आज कैसे याद किया दोस्त को?
गोगी : यार विदेश से घर लौटा हूँ और तुझे पता तो है ही वहां कंपनी का काम इतना ज्यादा होता है की बस समय नही मिलता | 
सोर्य : तो अबकी बार कितने दिनों के लिए आया है ?
गोगी : दो वीक लगभग रहूँगा अबकी बार, लेकिन तेरे लिए एक और ख़ुशी की बात है की अबकी बार समर की छोटियों में हम सारे दोस्त इकठा होने वाले है तो कल कहीं सभी दोस्त घुमने चलें?
सोर्य : कहाँ चलें ?
गोगी : तुन बता आज कल क्या कुछ है अपने इधर घुमने के लिए खास?
सोर्य : (अपनी जे एच जे की पुस्तक को हाथ में ले कर देखते हुए ) ठीक है तो में ही कोई जगह चुनुँगा , बस कल सभी दोस्तों को लेकर टैक्सी स्टैंड पे मिलना |
सोर्य : ( यस हीरे जवारत अब मुझसे नही बचने वाले )
Scene 2nd 
FADE IN :
EXT.TAXI STAND – EARLY IN THE MORNING
A very little taxi stand and no too much crowds over there.
DISOLVE TO:
INT.TAXI STAND STANDING WITH BACKPACK – EARLY IN THE MORNING. 
(सारे दोस्त टैक्सी स्टैंड पे खड़े है और सोर्य आता है वहां पर भारी भरकम बैग लेकर बैग रखता है और अपने दोस्तों को गले लगता है और कहता है कैसे हो मित्रों ? सभी खुशी से कहते है मजे में है तू सुना तू कैसे है ?)
Few taxi’s are passing through and they are just talking about where to go.
FIRST ( DRIVER ) Just a little intelligent and respective driver.
Sorya (the person who decided the place to visit , where to go)
Sorya to 1st Driver: हे टैक्सी ,  जे एच जे चलोगे?
1st DRIVER : क्या बोलते हो ?
Sorya: जे एच जे चलोगे?
1st DRIVER : पागल हो गये हो क्या? , उस जगह कौन जाएगा? वहां का रास्ता और माहौल दोनों ख़राब है
(Driver gose away Sorya left in trying)
2nd DRIVER : (one taxi comes form the front )
Sorya : टैक्सी , जे एच जे चलोगे ?
2nd DRIVER : हाँ हाँ....जे एच जे ?
जी 
2nd DRIVER : जे एच जे , नही वहां कौन जाएगा तुम्हे लेकर ?
Sorya : दुगना फेयर देंगे , फिर चलोगे ?
2nd DRIVER : नही सर नही वहां नही जा सकता |
(टैक्सी चली जाती है और कुछ दूर रुक कर वापिस बेक चल के आती है )
2nd DRIVER : दुगना देना होगा , बस जे एच जे के बाहर छोड़ सकता हूँ|
Sorya : ठीक है हमें मंजूर है |
Scene 3rd 
FADE IN :
EXT.TAXI RUNNING – EARLY IN THE MORNING
DISOLVE TO:
INT.IN TAXI – EARLY IN THE MORNING.
सभी दोस्त टैक्सी में बैठे है और अपने-अपने बिज़नस की बाते करते है (कुछ सभी बातों के दौरान मोबाइल में कुछ देख रहे है और कुछ पढ़ रहे है)
राधे पूछता है सोर्य से : तेरा लकड़ी का धंधा कैसा चल रहा है तो सोर्य कहता है की मैंने अब वो काम छोड़ दिया है अब में एक शॉप पे काम करता हूँ |
गोगी TO ड्राईवर : जे एच जे जाने से सभी टैक्सी वाले ना क्यूँ कर देते है ?
ड्राईवर : कुछ उमरदराज लोग कहते है वहां पर जो भी गया आज तक वापस कभी नही लौटा |
सोर्य : अरे क्यों डरा रहे हो भाई ऐसा कुछ नही है |
ड्राईवर : ठीक है सर जैसा आप कहें|
गोगी सोर्य से : कुछ पता भी है उस जगह के बारे में ?
सोर्य : अरे अच्छी जगह है डरने की कोई बात नही है बहुत ही एडवेंचर वाली जगह है एक बार पहुच तो जाए|

Scene 4th 
FADE IN :
EXT.TAXI – EARLY IN THE MORNING
गाड़ी जंगल में प्रवेश करती है और सब उतारते हुए
DISOLVE TO:
INT.INTO THE FOREST FIRST ENTERY IN IT – EARLY IN THE MORNING.
सोर्य ड्राईवर को पैसे देते हुए : वापस लेजाने का कुछ कर सकते हो ?
ड्राईवर : आप वापसी की उम्मीद भी करते है ?
सोर्य : क्या मतलब ?
ड्राईवर : मतलब यही की यहाँ से आज तक कोई वापिस नही लौटा |
सोर्य : वो सब छोड़ो तुम बताओ वापसी का कुछ कर सकते हो ?
ड्राईवर : ये मेरा कार्ड है , फ़ोन कर देना या फिर इ – मेल कर देना बस |
सोर्य : ठीक है में बुला लूँगा जब यहाँ से निकलना होगा |
ड्राईवर : ठीक है , पर |
सोर्य : क्या पर ?
ड्राईवर : तुम्हे जंगल के बहार ही मिलना होगा वरना में तुम्हे लेने नही आऊंगा |
सोर्य : ठीक है हम बहार ही मिलेंगे |
ड्राईवर : चेक कर लीजिये सर यहाँ मोबाइल नेटवर्क मिलना मुश्किल है क्योंकि दूर दूर तक यहाँ कोई बस्ती या नेटवर्क नही है |
सोर्य : (मोबाइल देखते हुए) है यहाँ नेटवर्क है | (तब तक उसके सरे दोस्त सामान उतार रहे होते है)
गोगी : क्या हुआ भाई क्या बात हो रही है नेटवर्क है ?
सोर्य : है भाई चिंता मत करो | बस मेरा सामान उतार लो |
सोर्य ड्राईवर से : ठीक है हम बुला लेंगे कॉल करके| 
राधे व समीर : अबे इतने बड़े बड़े दो बैग किस लिए लाया है ?
यहाँ घुमने आया है या अपनी ससुराल से लौटा है ?
सोर्य : अरे बस तुम देखते जाओ इसमें तुम्हारे लिए मैं वो वो चीज लेके आया हूँ जो तुम्हारे ससुराल वाले तो देंगे ही नही |

Scene 5th 
FADE IN :
EXT.FOREST – EARLY IN THE MORNING
ENTERING IN TO THE FOREST
DISOLVE TO:
INT.ENTERENCE OF FOREST, BACKPACK ON THEIR BACK – EARLY IN THE MORNING.

सभी दोस्त एक दुसरे से बाते करते हुए आगे बढ़ रहे है और जंगल की खूबसूरती की तारीफ कर रहे है |
गोगी : इस इतने बड़े जंगल में इतना सन्नाटा क्यों है ?
सोर्य : वो इस लिए की सभी यहाँ आने से डरते है और यहाँ लम्बे समय से कोई नही आया |

Scene 6th
FADE IN :
EXT.FOREST – EARLY IN THE MORNING
ENTERING IN TO THE FOREST
DISOLVE TO:
INT.ENTERENCE OF FOREST, BACKPACK ON THEIR BACK – EARLY IN THE MORNING.
राधे : वो क्या है वहां पर (पानी की बोतल की तरफ इशारा करते हुए) |
सोर्य : कुछ तो है तुम देखो क्या है |
राधे : (पानी की बोतल को उठाकर ) अरे ये तो पानी की बोतल है | पानी पी के टेस्ट करते है यहाँ का पानी टेस्ट में कैसा है |
गोगी : रुको ! उस पानी को पीना मत , (और राधे के हाथ से उस बोतल को गोगी ले लेता है )
राधे : यार देखने तो दो |
गोगी : रुको (बोतल को देखते हुए ) ओह माय गॉड !
सभी दोस्त : क्या हुआ ?
गोगी : ये बोतल तो बहुत पुराना है इसका मैन्युफैक्चरिंग इयर है 1907|
सोर्य : क्या ? क्यों मजाक कर रहे हो भाई ?
गोगी : (बोतल देते हुए ) लो खुद देख लो |
राधे : (बोतल लेते हुए ) इस से पहले के इसे कोई पी ले मुझे इसे किसी पोधे में डाल देना चाहिए |
(और राधे उस पानी को एक पेड़ की जड़ों में डाल देता है)


Scene 7th

FADE IN :
EXT.IN THE FOREST – MID DAY
ALL ENJOYING THE VIST TO FOREST
DISOLVE TO:
INT.SEARCHING SHADDOW FOR PLACING THINGS – EARLY IN THE MORNING.
सोर्य : अभी सब के सब अपने बैग उस बड़े से पेड़ के निचे रखेंगे और इधर-उधर जहाँ भी घूमना चाहे घूमेंगे और शाम को वापिस इसी जगह लौटेंगे बस अपना पानी साथ जरुर ले ले |
सभी एक साथ : क्या ? हम साथ साथ नही घुमने वाले ?
सोर्य : हाँ हाँ साथ ही है भई |
समीर : ठीक है (बैग रखते हुए) मैं अपना कैमरा साथ लेता हूँ फोटोज भी लेनी है |
गोगी : हमें किस समय वापस लौटना होगा ?
सोर्य : पांच बजे से पहले लौटना होगा |
राधे : मैं तो अपने फ़ोन से ही फोटोज ले लूँगा (फ़ोन निकलते हुए ) ओह तेरी ! यहाँ नेटवर्क तो नजर नही आ रहा मोबाइल में (आसमान की तरफ फ़ोन को ऊँचा उठाते हुए)
सोर्य : हम गहराई की तरफ होंगे इसलिए नही आ रहा होगा ?
राधे : (ऊंचाई की तरफ जाते हुए और हाथ को ऊपर उठाते हुए ) नही आ रहा है नेटवर्क ,
पर तुमने तो  कहा था नेटवर्क है ....(सोर्य पर गुस्सा होते हुए)
सोर्य : पर तब नेटवर्क था |
राधे : तो अब कहाँ गया ? 
सोर्य : कोई अच्छा फ़ोन खरीद ले भाई|
राधे : क्या मतलब ?
सोर्य : मतलब यहाँ पर नेटवर्क है |
गोगी : पर नेटवर्क मेरे फ़ोन में भी नही है 
राधे : बेदिमाग इन्सान , (गुस्से में ) झूठ बोला की नेटवर्क है पर यहाँ पर नेटवर्क नही है |
सोर्य : तो में क्या करूँ ?
राधे : तेरी तो , फिर तब क्यू बोला था की नेटवर्क है ? (बात हाथापाई तक पहुचती हुई सारे दोस्त बीच में आकर रोकते है )

Scene 8th
FADE IN :
EXT. – EARLY IN THE MORNING
Brife
DISOLVE TO:
INT.TAXI STAND STANDING WITH BACKPACK – EARLY IN THE MORNING.

(सभी दोस्त घूमते–घूमते फोटोज खेचते है ) शाम तक सभी जंगल की तारीफ़ करते हुए घूमते है और शाम को एक दुसरे को मिलते है |

Scene 9th
सभी थके हारे पेड़ के नीचे पहुंचते हैं और शौर्य से टैक्सी ड्राईवर को फोन करने की कहते हैं सारे फोन लगाने का नाटक करता है
और कहता है फोन नहीं लग रहा है और साथ ही साथ कहता है कि मैंने तुम लोगों के लिए एक सरप्राइज़ रखा है लेकिन हर राधे बीच में ही बोल पड़ता है और कहता है हमें तेरे किसी सरप्राइज़ की जरूरत नहीं जल्दी से फोन करो और टेक्सी बुलाओ शौर्य कहता है कि मैंने हम सब लोगों के लिए यहां रुकने की व्यवस्था करने की सोची है और हम कल यहां से चलेंगे लेकिन सभी दोस्त मना कर देते है
गोगी : लेकिन आज हम के नहीं जाएंगे?
सोर्य : क्योंकि इस समय टैक्सी ड्राइवर नहीं आएगा और फोन भी नहीं लग रहा है 
राधे : फोन लग नहीं रहा है या नेटवर्क ही नहीं है?
गोगी : तुम झगड़ा मत और ये सोचो की अब हमें आगे क्या करना है ?
राधे : ठीक है सुनो इसकी, पहले भी फंसे हुए हैं एक तो इतना बड़ा जंगल है रात हो रही है
गोगी : ठीक है सोर्य बताओ क्या सरप्राइज है ?
सोर्य : यही की क्या आज हम लोग यहां रुक सकते हैं? क्योंकि मैंने सबके लिए एक बीयर पार्टी की वयवस्था की है और यहां ठहरने के लिए टेंट भी साथ ले कर के आया हूं
समीर : ये... मजे करेंगे 
सोर्य : बस मैं और समीर कुछ लकड़ियां काट कर के ले आते है और उनसे टेंट लगाकर के यहां रुक सकेंगे|
गोगी : क्या कोई और रास्ता नहीं है?
सोर्य : श्याम होने के बाद यहां कोई टैक्सी ड्राइवर नहीं आएगा, पर हम यहां आराम से रह सकते हैं 
गोगी : (बाकी सब से पूछते हुए) क्या तुम यहां रुक सकते हो?
राधे : मैं यहां नहीं रुकुंगा |( बाकी सब मनाते हैं हम यहां से कहीं जा भी नहीं सकते)
राधे : ठीक है पर सुबह होते ही मैं यहाँ एक पल नही रुकने वाला |
सभी : ठीक है हम भी अब घर को निकलना चाहते है|

Scene 10
समीर और सॉरी लकड़ियां काट रहे हैं और लकड़ियां काटते हुए अजीबोगरीब आवाज सुनती है 
सोर्य : कोई जानवर होगा यार चलो जल्दी से लकड़ियां काट कर चलते हैं
समीर : ठीक है जल्दी से निकलते हैं अंधेरा भी होता जा रहा है सूरज लगभग ढल चुका है लकड़ियां काट करके ले जाते हैं और टेंट बनाते हैं
Scene
सोर्य और समीर टेंट बनाते है
टेंट को देख कर के सभी अच्छा महसूस करते हैं और सभी पार्टी करने की बात कहते हैं
शौर्य और समीर से गोगी : अँधेरा होता जा रहा है , हम में से कोई लकड़ियाँ लेकर के आएगा क्या ? ताकि हम आग जला सके क्योंकि जंगली इलाके में शाम जानवर इधर-उधर घुमने लग जाते है जो आग के पास नही भटकते |
सोर्य : मैं और समीर जाकर के आग की वयवस्था कर देंगे |
Scene 11
सभी शाम का अन्नंद आग के चारों तरफ बैठ कर गाने गाते हुए मजे करते हुए बियर का मजा लेते है |


Scene 12
(शाम बहुत हो गयी है )
पांचवा खिलाडी : मैं तो बहुत थक गया हूँ तो मैं सोना चाहता हूँ सोने चलें क्या ?
गोगी : सुनो ,जंगल का सन्नाटा कुछ ऐसे लग रहा है जैसे किसी बहुत बड़े तूफ़ान से पहले जैसा होता है
सभी दोस्त : क्यों डरा रहे हो यार ?
गोगी : डरा नही रहा ,
राधे : तो ऐसी वैसी बातें क्यों कर रहे हो ?
पांचवा खिलाडी : मुझे तो बहुत डर लग रहा है |
गोगी : डरने की जरुरत नही है , बस जब हम सोएंगे तब हम में से एक –एक कर के कोई जागेगा और रात को पहरा देगा |
सभी : ठीक है , सबसे पहले तुम ही पहरा दोगे |
गोगी : ठीक है तुम सोने जाओ |
(सभी सोने लगते है)
(गोगी आसमान के चाँद को देखता है और जब सभी सो जाते है तो उसे ड्राईवर की बाते याद आने लगती है डरावनी आवाजें आने लगती है)
गोगी : (मन ही मन सोचते हुए) यहाँ कुछ न कुछ तो जरुर है वरना हर कोई इस जगह से इतना डरता नही |

Scene 13
(रात के दो बजे है राधे उठता है और गोगी को कहता है) तुम सो जाओ मैं देता हूँ पहरा 
गोगी : ठीक है पर तुम सो मत जाना और डरने वाला कुछ नही है यहाँ पर|
राधे : ठीक है (राधे टेंट के बहार बैठ जाता है और कुछ समय बाद सो जाता है ) (कैमरा आसमान में जाता है)

Scene 14
(सुबह सूरज की लाली के साथ कमरा राधे की अंगड़ाई पे सूरज से पहुचता है)

राधे : हे भगवान शुक्र है दिन तो निकल आया |
गोगी : शुक्र नही पागल आज सोमवार है |
राधे : क्या ?
गोगी : वोही जो तूने सुना |
समीर : हा हा हा ... तुम भी ना दिन निकलते ही टांग खीचना शुरू कर रहे हो और रात को तो तुम दोनों ऐसे दुबके बैठे थे जैसे शेर को देख के गिदर छुपते है|
गोगी : शेर को देख के कोई नही छुपता बस वाह –वाह करते है|
सरे दोस्त : हा हा हा गोगी तुम भी ना .......
सोर्य : चलो घुमने चलते है ?
राधे : तुम जाओ घुमने , मुझे तो तुम बस टैक्सी माँगा दो |
गोगी : बस मंगवानी है या टैक्सी एक चीज बोलो ?
राधे : मजाक नही मैं पहले ही बहुत परेशान हो चूका हूँ|
गोगी : ओके ओके सॉरी दोस्त ,  चलो चलने की तयारी करते है |
सोर्य : नही भाई अभी नही अभी हम सुबह –सुबह थोडा घुमंगे और फिर चलेंगे |
सभी दोस्त : क्या ? तुम्हारा दिमाग तो ठिकाने है ?
अब हम में से यहाँ कोई नही रुकने वाला |
सोर्य : यारों देखो हम दोस्त एक साथ रोज रोज तो होने वाले है नही तो क्यों ना आज दोपहर तक थोडा घूम लें ?
समीर : चलो दोपहर तक की ही तो बात है |
सभी ; फिर दोपहर में कोई बहाना नही चलेगा हम ज्यादा नही घूमेंगे बस आराम करेंगे इसी जगह |
सोर्य : ठीक है तुम आराम करो मैं घुमने चला दोपहर तक लौट आऊंगा |

Scene 15
सोर्य : ( एक तरफ और बाकि सभी दोस्त एक तरफ घुमने चल देते है सोर्य के जाने के कुछ समय बाद) 
समीर : मुझे उसके साथ जाना चाहिए था |
राधे : जा ना फिर हमे क्या सुना रहा है ?
समीर : ( सोर्य जिस तरफ गया था उस तरफ कुछ दूर चलता है पर वो उसे दिखाई नही देता तो वो वापिस लौट आता है |)
सभी थोड़ी देर फोटो लेते है और घूमते फिरते है उसके बाद उसी पेड़ के निचे आकर लेट जाते है 
सभी अपने घर की बाते करते है घर जाने और घर वालो को मिस करने की बात करते करते सो जाते है |

Scene 16
सोर्य : जे एच जे के नक़्शे को देखते हुए (इसी जगह होना चाहिए)
सोर्य : (पेड़ के पत्तों को जलाते हुए) : कहाँ पर होगा खजाना ?
(कभी पैरों से जमीन को थपथपाते हुए ) कहाँ हो सकता है खजाना ?
कभी पेड़ों के बीच कट्टिंग करके रास्ता बनाते हुए (मुझे कोई सुराग तो मिल जाए?)
(एक पेड़ पर चढ़ कर किसी तरफ रस्ते को देखने की कोशिश करता है और गिर जाता है)

Scene 17
Time - 12:25  day - 2nd 
सोर्य : ( थकी हुई हालत में दोस्तों की तरफ लौट रहा है सभी दोस्त सोये हुए है )
सोर्य : (सोचते हुए ): शायद इतना जल्दी यहाँ कुछ मिलना मुश्किल है मुझे मेरी लकड़ियाँ काटने वाली टीम के साथ आना होगा |
सोर्य : चलो दोस्तों , घर चलें उठो आलसिओं |
गोगी : अआह्ह्ह , पहले तो ये बताओ तुम गए कहाँ थे ?
सोर्य : वो सब छोडो बाद में बताऊंगा अभी चलो |
सभी दोस्त अपना सामान डालने लग जाते है (कैमरा ऊपर पेड़ों से होता हुआ आसमान की तरफ जाता है)

Scene 18
सभी दोस्त जिस तरफ से आए थे उसी तरफ अपना सामान उठा कर चल देते है |
लेकिन भटकते - भटकते शाम होने लग जाती है फिर भी वो जंगल से बहार नही निकल पाते |
दोस्त थक हार के बैठ जाते है और आपसे में बाते करते है की हम इतना अन्दर तो नही आए थे फिर इतना समय होने के बावजूद बहार क्यू नही निकल पा रहे ?
गोगी : शायद हम दिशा भटक गये है हमें सुबह का इंतजार करना चाहिए और वापस से यहाँ कहीं पर टेंट लगाना चाहिए |
राधे : मुझे तो कोई भुतहा कारण लगता है इस सब के पीछे |
सोर्य : ऐसा कुछ नही है चलो टेंट पे वापिस चलते है और फिर कल देखेंगे बहार किस तरफ से निकला जा सकता है ?
(बहुत देर रात को टेंट पे वापस पहुचते है )


Scene 19
Time - 22:57 day – 2nd
समीर : सोर्य भाई और कोई सुर्प्रिज बाकि है या ख़त्म होगये सारे सर्प्रिज |
सोर्य : हाँ , है क्यू नही सर्प्रिज ?
(बैग खोल कर के कुछ खाने को निकालता है और सभी को देता है)
राधे : तेरे पास इतना खाना क्यों है ?
सोर्य : तुझे क्या प्रॉब्लम है खाने से ?
राधे : मुझे लगता है तुम ने हमें जान बुझ के फसाया है यहाँ |
सोर्य : तुम अपनी मर्जी से आए थे मैं नही लेके आया था तुम्हे ?
गोगी : दोनों चुप करो झगड़ने की जरुरत नही है बस सुबह होते ही हम सब यहाँ से निकल जाएँगे|
राधे : भगवान करे ऐसा ही हो |
समीर : भाई झगड़ो मत ऐसा ही होगा|
गोगी : चलो रात बहुत हो गयी है जानवरों की तरह झगड़ना बंद करो और सो जाओ|
राधे : मैं पहरा दूंगा फिर जो उठेगा वो पहरा देगा मंजूर ?
सभी : ठीक है ठीक है |
( सभी सो जाते है राधे थोड़ी देर जगता रहता है फिर वो भी सो जाता है ) 

Scene 20

time – 3:07 day - 3rd
( सोर्य को सोए-सोए बुरे बुरे ख्याल और सपने आते है खतरनाक पेड़ हिलते हुए दिखाई देते है)
सोर्य : ( हडबडाते हुए उठता है और पेशाब करने चला जाता है पास के ही एक पेड़ के पास जाकर वो पेशाब करने लगता है तभी पेड़ की एक टहनी उसके मुह में खुजली खरते हुए उसके मुह में एक धम से घुस जाती है और एक टहनी उसके गले में डल जाती है और उसे ऊपर को खेंच लेती है और जब उसका दम निकल जाता है तो उसे निचे गिरा देती है सभी गहरी नींद में सोये है किसी को कुछ पता नही चलता )

Scene 21

time – 5:04 day – 3rd
(सुबह होती है पक्षियों की चेहचाहट में समीर उठता है और देखता है की सोर्य वहां पर नही है वो उसे इधर-उधर देखता है वो उसे दिखाई नही देता थोडा आगे बढ़ के देखने पे देखता है उसका दोस्त गिरा पड़ा है वो भाग करके उसके पास जाता है और उसकी गर्दन पे हाथ लगाके उसकी नब्ज देखता है और देखता है की उसकी गर्दन पे गहरे निशान है जैसे उसका किसी ने गला घोट कर मार दिया हो )
समीर : (जोर से चीखता है) तुम हमें छोड़ के नही जा सकते |
( सभी दोस्त जाग जाते है  राधे भी उठ जाता है )
राधे : अरे सुबह सुबह अब कौन कहाँ चला गया ? सोने क्यू नही देते अछे से ?
(सभी भाग कर के सोर्य की तरफ जाते है और देख कर घबरा जाते है )
गोगी : ओह माय गॉड ! (बड़ी बड़ी आँखे खोल के) इसे किसने मारा ?
( उधर राधे आँखे मसलते हुए आ रहा है )
समीर : ( राधे की तरफ शक की नजरों से देखा है ) तुम दूर रहो मेरे दोस्त से तुमने ही मारा है मेरे दोस्त को तुम्हारा क्या बिगाड़ा था इसने ?
राधे : क्या हुआ ? क्या हुआ सोर्य को ?
समीर : इसे तुमने मार दिया है |
राधे : मैंने ? मैंने नही मारा इसे | तुमने मारा है इसे कल तुम्हे इसने पीछे छोड़ा था इस लिए |
( समीर राधे को मारने दोड़ता है पर गोगी उसे पकड़ लेता है )
राधे : मैंने तो कहा था ये ही हत्यारा है ये दोनों हमें मरवाने लाए थे एक तो खुद ही मारा गया |
गोगी : राधे तुम चुप रहो , झगड़ने से कुछ हासिल नही होने वाला चलो इसे टेंट में ले चलो और जल्दी से यहाँ से निकलने का रास्ता ढूंडो |
समीर : मैं मेरे दोस्त को छोड़ कर नही जाऊंगा |
पांचवां खिलाडी : मर गया है तुम्हारा दोस्त तुम भी मरे जाओगे अगर यहाँ से निकलने का रास्ता नही देखा तो |
गोगी : रहने दो इसे इसी के साथ रहने दो |

Scene 22

time – 12:04 day – 3rd
(सभी दोस्त लौटते है थके हारे कहते है रास्ता नही मिला |)
राधे : तुम्हारे दोस्त ने ऐसा फसाया कोई रास्ता नही मिल रहा है |
समीर : तुम एक गिरे हुए इंसान हो , वो तुम्हारा भी दोस्त था 
गोगी : झगड़ो मत |
(तभी राधे उठता है और उठ कर पानी से मुह धोने लगता है )
गोगी : उसके हाथ से पानी ले लेता है और कहता है बचाना होगा |
राधे : क्या ?
गोगी : हमें पानी को बचाना होगा |
राधे : लेकिन क्यू ?
गोगी : क्योंकि हमें नही पता हम यहाँ कितने दिन और फसे रहने वाले है तो हमें खाने और पिने की चीजों का बचाव करना होगा |
राधे : मुझे पानी दो , तुम अकेले कौन होते हो इस बारे में सोचने वाले ?
गोगी : मैं तुम्हारा दोस्त होता हूँ इसके बार में सोचने वाला |
(राधे चुप होकर बैठ जाता है और कहता है) ठीक है जो करना है करो सब के सब मुझसे ही परेशान क्यू है पता नही? 
गोगी कुछ सोचते-सोचते राधे से : राधे तुम बचपन में कहते थे ना हमें कौन सी चीजें नुकसान पंहुचा रही है उसके बारे में तुम्हारे पापा बता सकते है अपने खास यंत्र के सहारे |
राधे : तो ?
गोगी : क्या तुम्हे वो बनाना नही आता ?
राधे : आता है पर उसका मैंने कभी प्रयोग करके नही देखा |
गोगी : तो आज कोसिस करो प्रयोग करने की |
राधे : ठीक है |
(राधे टेंट में जाता है और दो लकड़ियाँ लेकर आता है)
राधे : सामने से हटो इस पर धुप आने दो |
(राधे माथे पे लकड़ी को रख कर मन्त्र लगाकर लकड़ी को घुमाता है तो लकड़ी एक तरफ एक पेड़ की दिशा में इशारा करके रुक जाती है )
गोगी : कुछ पता चला?
राधे : इसका इशारा उधर ऊपर की तरफ है शायद आसमान की तरफ पर इसका जवाब मुझे सही नही लगा क्यू की मैंने इसका पहले कभी प्रयोग नही किया |
गोगी : (आसमान और पेड़ की तरफ देखते हुए ) आसमान की तरफ है इशारा या पेड़ की तरफ या पेड़ पे बैठे किसी पक्षी की तरफ कहीं भी हो सकता है|
राधे : पर इन सब चीजों से हमें क्या नुकशान हो सकता है ?
(सोचत –सोचते राधे और गोगी रास्ता खोजने निकल जाते है शाम को वापस लौटते है)
समीर : कहीं रास्ता मिला ?
गोगी : किसी तरफ कोई सुराग नही लग रहा |
Scene 23
time – 21:04 day – 3rd
(सभी हल्का फुल्का खा कर के सो जाते है )
Scene 24
time – 4:50 day – 4th 
(सभी उठते है और रास्ते की खोज बीन में जुट जाते है )
लेकिन चलने से पहले गोगी : आज हम सभी रास्ता ढूडने चलेंगे और अलग –अलग दिशा में और सभी अपने साथ एक-एक अपनी पानी की बोटल भर कर ले लेंगे |
गोगी : ( सोर्य की बैग में पानी की बोटल चेक करते हुए )
सभी बोतलें खाली कैसे हो गयी ? समीर तुमने सारा पानी पी लिया ?
समीर : राधे की तरफ देखते हुए ) मुझे यहाँ रहते रहते जोरों की प्यास लग जाती थी तो ,,,,
राधे : तुम हमें भी मारना चाहते हो ? तुम अपनी हरकतों पे लगाम कब लगा लोगे ?
गोगी : झगड़ो नही अब कोई फरक नही पड़ने वाला पानी वापिस नही आने वाला |
राधे : ये चाहता ही झगडे है |
गोगी : चलो सभी रास्ता ढूढने निकालो और शाम से पहले लौट आना |
(गोगी आधी-आधी बोतल पानी तथा एक एक बिस्किट का पैकेट दोनों को देता है और रास्ता खोजने निकलने को कहता है सभी दोस्त अलग अलग दिशाओं में रास्ता खोजने निकल जाते है )

Scene 25
time – 14:47  day – 4th 
(समीर बिस्किट खा कर एक पेड़ से सहारा ले कर बैठने की कोशिस करता है की वो पेड़ उसे झटक कर गिरा देता है और वो गिर पड़ता है )
(उधर राधे वो गोगी भी रास्ता ढूढ़ रहे है वो भी थक हार कर वापस लौट पड़ते है )
Scene 26
time – 19:08 day – 4th 
गोगी राधे से : अब तक समीर लौटा क्यू नही समय बहुत ज्यादा हो गया है |
राधे : अपने आप आ जाएगा वो है ही ऐसा |
गोगी : ऐसा वैसा जैसा भी है वो दोस्त है हमारा |
राधे : तो क्या करें ?
गोगी : चलो उसे ढूढने चलते है |
राधे : चलो देखते है उसकी दिशा में कहीं वो बहार तो नही निकल गया ?
गोगी : हमें भागते हुए जाना होगा वरना रात बहुत ज्यादा हो जाएगी | साथ में एक टोर्च भी ले लेते है|

(दोनों वहां से भागते है रस्ते में कई जगह देखते है कुछ नही मिलता )
Scene 27
time – 20:47 day – 4th 
( वो देखते है की समीर मुह के बल गिरा पड़ा है और बेहोश है वो उसे उठाते है उसके कान खींचते है माथा सहलाते है कुछ देर बाद वो होश में आ जाता है )
गोगी : क्या हुआ ? तुम यहाँ गिर कैसे गये ?
समीर : हाँफते और घबराए हुए मुझे नही पता (और इतना कह कर उसे जोरों की उलटी आती है वो उसे उलटी करवाने के बाद दोनों तरफ से पकड़ कर साथ ले जाते है)
Scene 28
Time – 23:58 day – 4th 
( बस पहुच गये थोड़ी हिमत रखो बस पहुच गये पहुच कर के उसे टेंट में लेता देते है )
राधे : इसकी बॉडी में से तो स्मेल आने लग गयी है |
गोगी : चलो इसे पास ही कहीं रख देते है |
राधे : चलो |
(दोनों एक जगह पेड़ के नीच थोड़ी सफाई कर के उसे रखने की जगह बनाते है तबी एक स्वेटर मिलती है उसे राधे दूर फ़ेंक देता है पर गोगी उसे उठा कर साथ ले लेता है और स्वेटर को टेंट में रख कर सोर्य की बॉडी को उस पेड़ के निचे रख जाते है |)
समीर : लेटे –लेटे मेरे दोस्त को कहाँ ले जा रहे हो ? (हलकी दबी आवाज में)
राधे : इवनिंग की शेर पे लेजा रहे है तू कहे तो तुझे भी ले चले ?
गोगी : उसके साथ मत झगड़ो चलो इसे उठाओ|
(दोनों उसे वहां छोड़ आते है और जैसे ही वापस आते है देखते है समीर को जोरों की उल्टियाँ आ रही है)
गोगी : उसे संभालता है और लेटा देता है 
पांचवां पंछी : उसके माथे पर हल्का पानी लगा कर रुमाल की पट्टी रखता है |

Scene 29
time – 24:51 day – 4th 
(सभी की आँखे अपने आप बंद होने लगती है )
गोगी : राधे कुछ खा लेना सोने से पहले |
राधे : मुझे भूख नही है तुम दोनों खा लो |
दोनों : मुझे भी भूख नही लगी है |

Scene 30
time – 2:23 day – 5th 
(सोर्य की बॉडी को पेड़ अपनी तरफ खेंचता है और अपने में समां लेता है)
Scene 31
time – 4:08 day – 5th 

समीर : मेरा दोस्त कहाँ पर है ?
राधे : यहीं है सो और सोने दे |
पंचतंत्र ( उठता है और देखता है की सोर्य की बॉडी वहां पर नही है )
पंचंत्र गोगी से : उसकी बॉडी वहां पर नही है |
राधे : उसकी बॉडी से तुझे क्या लेना है |
गोगी : राधे , तुम हर किसी से क्यों झगड़ रहे हो ?
राधे : सॉरी दोस्त ये ड्यूटी तुम ले लो |
Scene 32
time – 6:15 day – 5th 
गोगी (स्वाटर को लेकर ) तुम दोनों इसे खोलने में मदद करो |
पंचतंत्र : अच्छा जरिया है time पास करने का |
गोगी : जो कहा है वो करो|
(सभी मिल कर उस स्वेटर को खोलते है और उसकी रसियों से गोल रोल बनाते है)
गोगी : आज हम जिस भी तरफ जाएँगे इस रासी को छोड़ते हुए जाएँगे ताकि हम वापस अपनी जगह जल्दी लौट सकें और जितनी जगह हमने देख ली उसका पता लगा सकें |
Scene 33
time – 9:35 day – 5th 

(सभी रास्ता ढूढने निकल पड़ते है पर जल्दी ही वापस लौट आते है पानी न होने के कारन )

(टेंट में राखी अंतिम बोतल से दोनों पानी पी जाते है और थोडा बीमार समीर को पिला देते है|)
(थोड़े समय में गोगी लौटता है और पानी पूछता है )
राधे : पानी ख़त्म हो चूका कभी का , अब क्या करेंगे ?
गोगी : हमारे पास कोई प्लास्टिक है ?
समीर : हम ने टेंट लगते समय प्लास्टिक का एक टुकड़ा निचे लगाया था |
तीनो मिल कर वो टुकड़ा निकलते है
Scene 34
time – 10:15 day – 5th 

गोगी उसे जैसे तैसे एक पेड़ पे लगा देता है और वापस आकर टेंट में लेट जाता है|

Scene 35
time – 1:07 day – 5th 
(राधे पानी के पेड़ के पास पहुचता है और पानी की बोतल भर कर खुद पी लेता है और थोडा पानी बचाकर ले आता है कहता है : इतना पानी ही मिला उस पाने को गोगी और पंचतंत्र मिल कर पे लेते है थोडा पानी समीर को भी दे दिया जाता है|)
इसी तरह से रोज पानी मिल जाता है और वो रोज थोडा जंगल घूम कर रास्ता खोजते है 

Scene 36
time – 5:55 day – 17th 
गोगी : चलो सभी पानी आ गया है रास्ता धुंडने चलते है मुझे पेड़ के पास की एक बेल पर ये कुछ कहने योग्य चीजे मिले है इसे खा लेते है और चलते है |
(सभी अपनी – अपनी दिशा में कुछ रास्ता खोजने चल देते है)
Scene 37
time – 9:15 day – 17th 
गोगी : अपने मोबाइल का कंपास में देखता है की कम्पास भी गलत दिशा बता रहा है तो गोगी सोच में पड़ जाता है
गोगी : (एक जगह बेठे हुए सोचता है की सोर्य का एक बैग तो हमने देख लिया लेकिन दूसरा बैग उसका लॉक है उसे देखना चाहिए गोगी वापस लौट आता है )

Scene 38
time – 11:45 day – 17th 
समीर : तुम यहाँ क्या कर रहे हो मैं ठीक हूँ ?
गोगी : तुम्हारे पास सोर्य के बैग की चाबी है क्या ?
समीर : नही है |
गोगी : ठीक है तुम आराम करो |
(गोगी बैग का लॉक तोड़ देता है)
गोगी : ओह माय गॉड ! जे .एच .जे . इस नाम से कोई पुस्तक भी है ? लगता है इसी में यहाँ से निकलने का कोई राज छूपा है |
(गोगी पूरी किताब को पढ़ लेता है तब तक शाम हो जाती है)
Scene 39
time – 19:35 day – 17th 

(पंचतंत्र व राधे लौट आते है और गोगी उनको सारी बात बताता है| अब उनको समझ आ जाता है की वो यहाँ पर धन दौलत के चाकर में आया था और उनको फसा गया )
गोगी (बैठे बैठे सोचता है बैग में कुछ और भी हो सकता है , बैग में देखने पे गोगी को एक मैप मिलता है जो जे एच जे का ही है लेकिन काफी साल पुराना है साथ की साथ उनको बैग में खाने को नमकीन भुने हुए चने तथा बिस्किट भी मिल जाते है)
गोगी : ये देखो यहाँ का मैप |
राधे : यहाँ से बहार निकलने का रास्ता देखो किस तरफ है|
गोगी : हाँ ये है जंगल का मध्य भाग , और ये है उतरी भाग , और हम है मध्य से पूर्वी हिस्से में और यहाँ पर कहीं भी कोई रस्ते का संकेत नही दिया हुआ है|
राधे : मुझे दिखाओ |
गोगी : ये लो तुम देखो कुछ मिल जाए तो |
राधे : इसमें लिखा कुछ भी मुझे समझ नही आ रहा है|
गोगी : यहाँ पर ये कोई मंदिर का निशान प्रतीत होता है शायद इस जगह कोई मंदिर है अगर कोई मंदिर है तो उसको बनवाने वालों ने या उस मंदिर में आने वालों ने कोई तो रास्ता या पगडण्डी बनायीं होगी |
राधे : चलो इस मंदिर में चलते है |
गोगी : अभी नही जा सकते |
राधे : क्यों ?
गोगी : क्योंकि वो जगह बहुत दूर है और सूरज डूब जाने के कारन सही से दिशा का पता लगा पाना भी मुश्किल है 
अभी के लिए खाना खा लेते है कल भी तुमने कुछ नही खाया था और सो जाते है कल का नही पता की रास्ता मिल ही जाएगा |
( सभी सो जाते है )

Scene 40
time – 6:35 day – 18th 
( सुबह सभी जल्दी उठ कर अपना अपना सामान बांध लेते है और गोगी की अगवाई में समीर को कंधो पर उठाकर सभी मंदिर की दिशा में चल देते है )
Scene 41
time – 9:55 day – 18th 
(सभी थक जाते है और एक पेड़ के निचे रुक जाते है थोड़ी देर आराम करने के बाद फिर से चलना शुरू करते है )

Scene 42
time – 13:55 day – 18th
(सभी मंदिर तक पहुच जाते है और सबकी साँस में साँस आती है |)
गोगी : (भाग कर मंदिर में चपल उतार कर चढ़ जाता है और भगवान के डर में लेट कर कहता है )
गोगी : भगवान आपके दर पे आके लग रहा है जैसे अब घर का रास्ता दूर नही |
(सभी दोस्त भगवान के मंदिर की सफाई में लग जाते है और बहुत समय बीत जाता है पर मंदिर के पास ही एक नलका भी नजर आता है वो उसको चलते है तो उस में से पानी भी आता है वो उसे पीते है और वहां के पेड़ के निचे आराम करते है )
राधे : हमें भगवान के दर में बैठे काफी देर हो गयी है कोई रास्ता तो नजर नही आ रहा ऐसा क्यों हो रहा है ?
गोगी : हमें शायद भगवान के मंदिर की अछे से साफ़ सफाई और पूजा करनी चाहिए |
(जैसे ही गोगी मंदिर में हाथ डालता है गोगी के हाथ जे.एच.जे. भाग सख्या 2 लगता है गोगी उसे बहार निकल कर रख देता है और दोस्तों के साथ मंदिर की सफाई करता है और बुक को पढना शुरू करता है)
बुक : मुझे पता था एक दिन कोई इस तक जरुर पहुचेगा | अगर तुम भगवान के इस मंदिर तक पहुचे हो तो इसके पीछे एक ही कारण है की तुम किसी मुसीबत में हो , क्यों की अब वो समय चल रहा है जिस में भगवान को  लोग सिर्फ तभी याद करते है जब वो मुसीबत में होते है |
मैंने मेरी पहली पुस्तक में लिखा उसमे मैं धन दौलत तक तो नही पहुच पाया था लेकिन एक नतीजे पर जरुर पंहुचा की अगर कोई इन्सान परकृति की झोली में फस गया है तो उसके पीछे वो खुद जिम्मेवर है अगर कोई प्रकृति के चंगुल से बच के जाना चाहता है तो उसे अपने किये या अपने साथी के किये पे ध्यान देना होगा |
इस पुस्तक में मैं यहाँ से बचके निकलने का तरीका सीधे सीधे तो नही बता पाउँगा क्यों की ये प्रकृति का नियम है की अगर उसके बार में कुछ भी बिना सोचे समझे लिखा जाए तो प्रकृति उसे मिटा देगी | तो अब तुम्हे यहाँ से निकलने के लिए सोचना होगा की तुम्हे यहाँ पर कितना नुकसान हुआ या तुम्हारे किसी साथी को कितना नुकसान हुआ और उसने या जिसको नुकसान हुआ उसने यहाँ क्या क्या किया और कितना किया ?
जिसने यहाँ पर कुछ बुरा किया उसको उसका उतना ही बुरा फल मिला और जिसने जितना कम किया उसे उतना कम फल मिला | 
(गोगी सोचता है की उसके दोस्त जो मर गया और एक जो बीमार है ने क्या किया और क्या हुआ उसे याद आया उसका पेड़ काटना आदि)
तो उसे उसका उल्टा करना होगा यहाँ से निकलने फिर तुम्हे ये पृकृति ही यहाँ से निकल सकती है और अपने जीवन को अच्छे से जीने के लिए ये नियम यहाँ – यहाँ पर नही पूरी दुनिया में लागु होता है |
गोगी : (जल्दी से पुस्तक रख कर) चलो यहाँ से जल्दी चलो वापस वहीँ चलो |
राधे : पर क्यों ?
गोगी : बाद में बताऊंगा |
राधे : पर हम रास्ता क्यू नही ढूढ़ रहे ?
गोगी : जिद मत करो जो कहता हूँ वो करो वरना हम सब मरे जाएँगे|
(सभी वापिस टेंट में लौट जाते है |)
Scene 43
time – 18:17 day – 18th


गोगी : राधे तुम सभी बोतल उस पेड़ से पानी भर के लाओ |
राधे : पर क्यों ?
गोगी : तुम जाओ जल्दी लाओ |
(राधे पानी लेकर आता है गोगी अपने सभी साथियों को कुछ बीज देता है और उन्हें उगने तथा उनमे पानी डालने को कहता है सभी दोस्त पानी डालते है )
Scene 44
time – 7:05 day – 38th

(सभी बीज पोधे बन चुके है और वो पोधे एक तरफ झुके हुए है गोगी को फिर उस पुस्तक की बात याद आती है और गोगी कहता है शायद ये इशारा है यहाँ से निकलने का )
राधे : कैसा इशारा ?
समीर : हम कब वापिस निकल पाएँगे यहाँ से ?
गोगी : ये पेड़ देखो जो अभी जन्मे है और हमारी मेहनत से जन्मे है वो हमे एक तरफ इशारा कर रहे है और ध्यान से देखो वो उधर हमें रास्ता नजर आ रहा है |
राधे : कहाँ ?
गोगी : मेरे पीछे – पीछे आओ |
(सभी पेड़ों का सहारा लेकर जंगल से बहार निकल जाते है लेकिन जैसे ही वो जंगल के बहार निकल रहे होते है उनके पीछे एक पेड़ काटने वाला भी नजर आने लगता है लेकिन वो घबराए हुए वहां से भागे – भागे निकल जाते है)
गोगी : राधे तुम्हे याद है तुम्हारा यंत्र पेड़ की तरफ इशारा कर रहा था ?
राधे : हाँ याद है |
गोगी : उसका इशारा सही था |
राधे : कैसे ?
गोगी : समीर और सोर्य ने पेड़ों को नुकसान पहुचाया तो उन्हें भी प्रकृति ने नुकशान पहुचाया और यंत्र भी यही इशारा कर रहा था |
सभी दोस्त जंगलों से भागते भागते रस्ते पर आ पहुचते है और पास के एक गांव में पहुँच जाते है |
The End 
फॉर जस्ट अ लिटिल time

(Story written by Gourav Gir for this movie)
The Nature
-a speechless reaction

-a speechless action of nature

बहुत समय पहले की बात है कुछ दोस्त, एक दोस्त के कहने पर किसी जंगल के इलाके में घूमने के लिए तैयार हो जाते  
हैं वह दोस्त वैसे तो साथ पढ़ते थे लेकिन बहुत लंबे समय से वह अपने काम के सिलसिले में एक दूसरे से दूर थे अपनी  
पुरानी यादों को ताजा करने के लिए उनका दोस्त कहीं एडवेंचर ट्रिप का आयोजन करने की सोचता हैं और je h je  
के नाम से प्रसिद्ध जगह पर जाने के लिए तैयार हो जाते हैं वह जैसे-तैसे गाड़ी से वहां पहुंचते हैं लेकिन जिस दोस्त ने  
इस जगह का चुनाव किया था वह दोस्त कुछ समय पहले वहां से गुजरा था |
दोस्त किसी भी तरह से एक टैक्सी लेकर के वहां पहुंचने की कोशिश करते हैं कुछ टैक्सी वालों ने उन्हें मना कर दिया  
कहां वहां जाना खतरे से खाली नहीं है लेकिन आख़िर में एक गरीब टेक्सी वाला मान जाता है और उन्हें जिन्हें पहुंचाता है
और उनका मुख्य दोस्त ड्राइवर से अपना नंबर देने को कहता है 
ड्राइवर कहता है साहब यहां नेटवर्क शायद नहीं होगा तो उनका दोस्त कौन निकालता है और कहता है हां जी यहां पर  
नेटवर्क है
 तो दोस्त वहां पहुंचते हैं तो सबके सब दंग रह जाते हैं लेकिन जैसे ही वह उस जंगल में प्रवेश करते हैं उन्हें एक अलग  
सी खामोशी महसूस होती है लेकिन उनका दोस्त उनके पूछने पर कहते हैं की एक जगह से दूसरी जगह आने पर हमें  
ऐसा महसूस दिमाग से खामोशी का भरम दूर करता है सभी दोस्त शाम को वापस लौटने की बात कहकर के जंगल के  
इलाकों में घूमने की कहते हैं लेकिन उनका दोस्त कहता है कि आज हम यहीं पर रुकेंगे और एडवेंचर ट्रिप करेंगे लेकिन  
उनके बाकी दोस्त कहते हैं कि हम लोगों ने ना ही एक्स्ट्रा कपड़े लिए हैं और ना ही हमारे पास खाने की व्यवस्था है तो  
उनका दोस्त कहते हैं कि आज हम जंगल के ऊपर निर्भर करेंगे और जंगल जो हमें खाने को देगा वह हम खाएंगे और  
रहेंगे इस तरह से आपस मैं दोस्त झगड़ते रहते हैं और अपनी-अपनी बात रखते हैं लेकिन दोस्त की जीत की वजह से वह  
जंगल घूमने को और रुकने को तैयार हो जाते हैं लेकिन कहते हैं कि अगर समय बचा तो हम लोग वापस लौट जाएंगे |
उनका दोस्त हम तो कहता है अपनी मर्जी मुताबिक आप घूमने जाओ मगर यह नक्शा अपने साथ रखना 
उनके सारे दोस्त साथ घूमने आए हैं ना की अलग अलग हमें ज्यादा नक्शों की जरूरत नहीं है लेकिन फिर भी हम लोग  
एक एक रख लेते हैं इस तरह से
सारे दोस्त इधर-उधर घूमने लगते हैं नहीं नहीं जगह देखते हैं जैसे-जैसे समय बीता जाता है रात का समय होने लगता है  
शाम को एक दूसरे से मिलते हैं
अपने दोस्त से कहते हैं भाई टैक्सी ड्राइवर को फोन लगाओ उनका दोस्त कहता है कि मेरे फोन में नेटवर्क नहीं है बाकि  
कहते हैं कि तुमने तो उस व्यक्ति के पास कहां था नेटवर्क है तुमने उसे समय सच क्यों नहीं बताया
दोस्त ने कहा मैंने सोचा नेटवर्क मिल जाएगा और हमें किसी तरह की दिक्कत नहीं होगी इसके बाद आपस में दोस्ती  
करने लगते हैं तो वह कहते हैं कि हम अब घर कैसे जाएंगे खाने के लिए हमारे पास कुछ भी नहीं है उनका दोस्त कहता  
है मैंने हमारी शाम की पार्टी के लिए काफी व्यवस्था की है आज हम पिएंगे बीयर्स और करेंगे चियर्स
दोस्तों के गुस्से को शांत करता है और बीयर उनके हाथों में थमा देता है और जाकर के कुछ सुखी लकड़ियां लेकर क्या  
करें और उन्हें चेहरे में जला देता है और उसके चारों तरफ बैठकर के सारे दोस्त बीयर का आनंद लेते हैं और कहते हैं  
जल्दी से बेयर पियो और हमें लकड़ियां काटनी है और उनसे रहने के लिए टेंट लगाना है |
सारे दोस्त जल्दी से बीयर पीते हैं और जो दोस्त उनको यहां लेकर कराया था वह अपने खास दोस्त को लेकर के पेड़  
पौधों से लकड़ियां काटने के लिए चले जाते हैं और बाकी दोस्त बैठकर के सफाई और बातें करते हैं टेंट लगाने के लिए  
जगह सुनिश्चित करने के बाद सफाई का कार्य पूरा किया जाता है तब तक वह दोस्त लकड़ियां काटकर के लिए आते हैं 
सभी दोस्त अपने साथ लाई खाने पीने की चीजे खाने के बाद देर रात को मजे करते करते सो जाते हैं अगले दिन सुबह  
जब उठते हैं
तो उनको घर लौटने की चिंता सताने लगती है सभी दोस्त घर को जाने की बात कहते हैं पर उनका दोस्त कहते हैं कि  
आज आज हम यही और मजे करेंगे और कहते हैं मैंने एक-दो दिन का खाना पहले ही साथ ले लिया था तो tumhe  
चिंता करने की जरूरत नहीं है इतना कहकर वह दोस्त जंगल की तरफ घूमने चल देता है वह सारी जगह अपने धन होने  
की बाघ के बारे में बिना किसी को बताए इधर-उधर धन को खोजने की कोशिश करता है लेकिन उसे कोई धन नहीं  
मिलता है और शाम हो जाती है श्याम को सभी दोस्त सुबह घर को लौटने की बात कह कर के सो जाते हैं लेकिन देर  
रात सबसे पहले वाले दोस्त जिस में जगह का चुनाव किया था को बुरे बुरे ख्याल और सपने आने लग जाते हैं और उसे  
बहुत जोर से पेशाब करने का मन होता है जैसे ही रहे उठ करके पेशाब करने जाता है और एक पेड़ के नीचे पेशाब करता  
है वह पेड़ों से वह पेड़ों से गले से पकड़ कर के ऊपर उठा लेता है और उसका गला दबा करके उसे मार देता है और  
वापिस नीचे फेंक देता है लेकिन बाकी सभी दोस्तों को राजपथ उसके मरने की भनक तक नहीं लगती |
सुबह जब सारे दोस्त नींद से उठते हैं तो देखते हैं की उनका दोस्त गायब है वह तो तो दोस्त को ढूंढने की कोशिश करते  
हैं और देखते हैं कितने का दोस्त सामने मारा पड़ा है उसका गर्दन लाल और नीली हुई हुई है ऐसा लगता है जैसे किसी  
ने बहुत ही बेरहमी से मारा है और उसकी हत्या करके भाग गए हैं तो सारे दोस्त डर जाते हैं और रोते हुए अपने दोस्त  
को सौंपने के अंदर ले कर के आते हैं और सभी दोस्तो घबराए हुए सहमे हुए वापस लौटने की बात कह कर के जिस  
तरफ से आए थे उस तरफ चल देते हैं लेकिन जैसे ही वह चलते हैं उनके सामने रास्ते बंद हो जाते हैं और उन्हें रास्ते  
नहीं मिलते सारे दोस्त थक कर परेशान हो जाते हैं और वहां पर वापस झोंपड़ी में लौट आते हैं
अगली रात वह देखते हैं एक बहुत ही तेज लाइट और रफ्तार के साथ एक भाई कहां से निकलती है सभी दोस्त उसकी  
तरफ दौड़ते हैं लेकिन बाइक सवारों को अनदेखा कर के वहां से निकल जाता है तो उनके दोस्तों के दिमाग में यह बात  
जरूर आती है की यहां से कोई भी आ जा सकता है लेकिन किसी कारणवश कोई यहां पर फंस गए हैं
उसके बाद उनका चश्मे वाला दोस्त कहता है सभी चारों दिशाओं में जाएंगे और रास्ते का पता लगाएंगे जिंदगी उनको  
नाश्ता मिलता है जिधर भी उनको रास्ता मिल जाए वह वापस वहां पर शाम होने से पहले झोंपड़ी में लौट आएंगे और  
हम लोग शाम होने से पहले वापस घर को लौट जाएंगे लेकिन सभी दोस्त रिश्ता नहीं ढूंढ पाते हैं और पहले दोस्त का  
खास दोस्त दौड़ते-दौड़ते धरा शर्मा धनराज शर्मा डरा सहमा बेहोश होकर गिर जाता है और वह शाम तक वापस नहीं  
लौटता था उनके दोस्त चिंता करते हैं और उसकी दिशा में लौट पड़ते हैं उसके बाद वह देखते हैं कि उनका दोस्त बहुत ही  
देवासी और बीमारी की हालत में पड़ा हुआ है वह उसे उठाकर के लाते हैं और झोपड़ी में रहते हैं वह अपने मरे हुए दोस्त  
को झोपड़ी से बाहर वाली तरफ रख देते हैं और रोते रोते सो जाते हैं
उस रात उनके मरे हुए दोस्त को कुछ प्राकृतिक बेले घसीटकर के उस दोस्त को अपने आगोश में ले लेती है बस ऐसे ही  
वह सुबह उठकर के देखते हैं तो उनके दोस्त की लाश भी उनको नहीं मिलती और वह दोस्त किसी जानवर के होने की  
आशंका से और भी ज्यादा भयभीत हो जाते हैं और उनके दोस्त की हालत और बिगड़ती जाती है जैसे वह दोस्त कुछ  
रास्ता यह खाने पीने की चीजे ढूंढने निकलते हैं तो उनको एक फटा हुआ स्वेटर मिल जाता है वह देखते हैं कि वह स्वेटर  
बहुत सालों कराना है कुछ दोस्तों से कौन देगा करके चले जाते हैं लेकिन उनका चश्मे वाला दोस्त उसमें तो उठा लेता है  
और अपने दोस्तों से वह सुबह तक को खोलने की बात कहता है और कहते हैं कि इस मैटर के धागे धागे को अलग कर  
लो और एक रोल बनाना वह सभी दोस्त मिलकर के उसका रोल बनाते हैं और वह दोस्त कहता है कि इसे झोपड़ी से  
बांधो और अपनी दिशा में जहां भी जाओ इस रस्सी के टुकडे को कॉल कर खोलते जाओ ताकि हमें ढूंढने और वापस आने  
में कोई दिक्कत न हो लेकिन इसी बीच उनके पास खाने की चीजें भंवर पानी की कमी हो जाती है और वह दोस्त इन  
चीजों से बहुत ज्यादा परेशान होने लग जाते हैं उनका दोस्त एक पेड़ से टेंथ का प्लास्टिक का कागज प्रयोग करके पानी  
इकट्ठा करने की कोशिश करता है कुछ पेड़ों से पानी नहीं द* पाते लेकिन खुद से उसे पानी मिल जाता है इस तरह से  
उनके पाने के लिए तो व्यवस्था हो जाती है लेकिन हमने की अधिकता से वजूद में लग जाते हैं एक दोस्त को 12  
ककड़ी और हीरे भी मिल जाते हैं जंगल जंगल के दूसरे हिस्से पर थे घूमने खाने के लिए ले आता है वह परेशान हताश  
होकर खान खा कर सो जाते हैं इस तरह से बहुत ज्यादा परेशानियों से जूझते हैं
इसी तरह से उनको घूमते हुए लगभग 20 से 25 दिन हो जाते हैं फिर उनके दोस्त जो चश्मे वाला है उसकी प्रकृति ऐसी  
है कि वह बातें कम और ध्यान ज्यादा करता है वह मरे हुए दोस्त के बारे में सोचता है की वही हमें यहां लेकर आया तो  
शायद उसके बैग में कुछ ना कुछ जरूर होगा जिसे हमें वहां पर जाने का या यहां के नक्शे का या कुछ और चीजें मिल  
सकती है यह सोच कर कि मैं उसका बैग खुलता है और देखता है कि उसके बैग में एक दूजे तुझे नामक पुस्तक है और  
उसको खोल कर के वह पढ़ता है कि उसके अंदर किसी यहां धन होने की आशंका जताई गई है जिसके क*** उसे लगता  
है कि उसका दोस्त ही यहां आया और मुझे लगता है कि यह जगह शायद शापित है तो उनका दोस्त इस शहर में आकर  
के यहां फस गया और मर मारा गया और उसी की वजह से वह लोग भी यहां फंसे हुए हैं लेकिन वह क्या कर सकते हैं  
वह मर चुका है.
इसके बाद में दोस्त देखते हैं किस जगह गए कुमार नक्शा भी उस पुस्तक के अंत में दिया हुआ है तो उसका दोष देखता  
है कि वहां पर किसी रास्ते का तो कहां सोएगा नहीं लेकिन उसमें एक मंदिर दर्शाया गया है मैं सोचता है कि जहां मंदिर  
होगा वहां भगवान अपने भक्तों की आज मैं जरूर बैठे होंगे और इंतजार कर रहे हैं और शायद वहां मंदिर में भक्तों की  
आने जाने का रास्ता भी पता चल जाए |
इतना सोच कर के वह अपने दोस्तों का इंतजार करता है और जैसे उनके दोस्त होते हैं तो उन्हें मंदिर की तरफ चलने की  
बात कहता है और कहता है हम सब मंदिर को ढूंढने में उस समय शाम हो गई होती है उन्हें दिशा का पता चलने में  
दिखते होती है इस क*** वह रात भर सो जाते हैं और सुबह उठकर के दिशा का अनुमान लगा कर के मंदिर की तरफ  
चल देते हैं बिल्कुल सुबह-सुबह का मंदिर में पहुंचते हैं और भगवान के दरबार में वह पूछा और भगवान के सामने विलाप  
करते हैं और भगवान और भगवान के मंदिर में देखते हैं यह पुस्तक वहां रखी हुई है जिसका विवरण पहले वाली बुक में  
दिया गया है कि इसका दूसरा भाग अभी तक प्रकाशित नहीं हुआ है वह देखते हैं कि हाथ से लिखा हुआ दूसरा भाग वहां  
पर उपलब्ध है जैसे उनका चश्मे वाला दोस्त उसे उठाकर के पड़ता है
तो उसमें लिखा होता है की दोस्त मुझे पता था तुम एक दिन जरूर आओगे क्योंकि इस दुनिया में इंसान को भगवान की  
याद सिर्फ तभी आने लगी हैं जब किसी मुसीबत में होता है और अगर आप मुसीबत के कहानियां पहुंचे हैं तो मैं आपको  
बता दूं कि मैं आपको सीधे सीधे इस मुसीबत से बचने का रास्ता इस पुस्तक में नहीं बता पाऊंगा क्योंकि अगर मैंने  
सीधे-सीधे यह बात बताई तो इस पर विश्वास करना और इस पुस्तक को प्रकृति से बचाना बहुत मुश्किल होगा इसलिए  
तुम ध्यान दो कि तुम्हारे साथ यह तुम्हारे किसी अपने के साथ जो तुम्हारे साथ यहां है कितना नुकसान हुआ यह कितनी  
परेशानी हुई और उसके कार्य इस तरह के कार्य से जुड़े हैं या यहां आने के बाद उसने किस तरह के कार्य किए जिस ने  
जिस तरह के कार्य किए उसके अनुरूप यहां उसका फल मिला है तो तुम्हें उसके विपरीत या उस नुकसान को भरमा है  
तो उनके किए कार्य को उल्टा करके करना होगा तभी उस चश्मे वाले दोस्त के दिमाग में आता है कि उसका दोस्त पहले  
जमाने में पेड़ काटने का क** करता था और उसने यहां आकर के भी प्रकृति को नुकसान पहुंचाया शायद इसी के क***  
उसको इसका हर्जाना भरना पड़ता है तो उसे जाने की भरपाई उनके दोस्त यहां से कर के निकल सकते हैं उसके लिए  
उन्हें प्रकृति को बचाना होगा प्रकृति में पेड़ों की संख्या बढ़ाने होगी|

इसके बाद सभी दोस्त अपने झोपड़ी की तरफ लौट जाते हैं और देखते हैं कि उनके साथ वह खाने के लिए क्या-क्या चीजें  
ले कर के आए थे और उनमे से उनके पास क्या-क्या चीजें बची है या किस-किस चीज है बीज वगैरे उनके पास है तो  
वह देखते हैं उनके पास बादाम छुहारे और अंय कई तरह के फलों के बीज उनके पास हैं झोंपड़ी के चारों तरफ उन बीजों  
का अंकुरण करने के लिए लगा देते हैं और पास के ही पेड़ों से उनके लिए पानी की व्यवस्था करते हैं अंत में उनको पता  
चलता है कि जिस पेड़ को उन्होंने उन्होंने सर्वप्रथम पानी दिया था वही पेड़ों को इतने दिनों से पानी द* रहा था इस तरह  
से कुछ कहते हैं कुछ पौधे लगाते हैं और जैसे ही वह पौधे अंकुरित हो कर के बड़े होने लग जाते हैं वहां से निकलने में  
कामयाबी की उम्मीद करते हैं और जैसे ही वह अपना समान बांध करके चलने की कोशिश करते हैं कुछ पेड़ों ने हिला  
हिलते हुए रास्ता दिखाते हैं और वह हिलने वाले पेड़ों के पास पास से निकलते हैं और वहां से ड्रेस हमें जंगल से बचकर  
के निकल जाते हैं जैसे ही वहां से निकलते हैं बिल्कुल बाहर की तरफ देखते हैं कि कुछ लोग एक इंसान कुछ पेड़ों को  
काटने की कोशिश कर रहा है पर वह उसे कुछ भी कहे बिना ड्रेस हमे वहां से निकल जाते हैं



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